इ… इंसान अच्छे बनकर दिखाओ ई… ईश्वर को भी सदा मनाओ, इ… इंसान अच्छे बनकर दिखाओ ई… ईश्वर को भी सदा मनाओ,
तुम्हारे शब्दों की सीढ़ी चढ़ते चढ़ते उसे मिला अरुण का अलसाया रूप, शरद की गुनगुनी धू तुम्हारे शब्दों की सीढ़ी चढ़ते चढ़ते उसे मिला अरुण का अलसाया रूप, शरद की ...
तुम्हें पाने की ऐसी कोई ख्वाहिश नहीं है , तुम्हें पाने की ऐसी कोई ख्वाहिश नहीं है ,
जो अनिश्चित है बांधे नहीं जा सकते पर मेरा वजूद भी इनसे ही है। जो अनिश्चित है बांधे नहीं जा सकते पर मेरा वजूद भी इनसे ही है।
गगन को शब्दों की पहनाती मैं माला , मैं पंतग आओ तुम्हें दिखती मेरी कला। गगन को शब्दों की पहनाती मैं माला , मैं पंतग आओ तुम्हें दिखती मेरी कला।
वो स्याही जो कोरे पन्नों पर, शब्दों की लता उस कागज में लपटी हैं । वो स्याही जो कोरे पन्नों पर, शब्दों की लता उस कागज में लपटी हैं ।